जब से उनका शहर हुआ
इक अंगारा शहर हुआ
पहचानेगा कौन इसे
यों बे – चेहरा शहर हुआ
बस्ती – बस्ती भीड़ बढ़ी
लेकिन तनहा शहर हुआ
कहना – सुनना भूला है
गूँगा – बहरा शहर हुआ
एक हक़ीक़त था जो कल
आज फ़साना शहर हुआ
लेखक
-
विज्ञान व्रत जन्म-तिथि : 17 अगस्त 1943 जन्म-स्थान : तेड़ा (मेरठ) उ प्र शिक्षा : M A ललित कला , B Ed , डिप्लोमा -- चित्रकला (राजस्थान) सम्प्रति : लेखन तथा चित्रकला प्रकाशित कृतियाँ : ग़ज़ल संग्रह : बाहर धूप खड़ी है , चुप की आवाज़ , जैसे कोई लौटेगा , तब तक हूँ , मैं जहाँ हूँ , शर्मिन्दा पैमाने थे , किसका चेहरा पहना है , भूल बैठा हूँ जिसे , मेरा चेहरा वापस दो , याद आना चाहता हूँ , लेकिन ग़ायब रौशनदान , मेरे वापस आने तक , रौशनी है आपसे और विज्ञान व्रत : चुने हुए शे'र दोहा संग्रह : खिड़की भर आकाश
View all posts
जब से उनका शहर हुआ /विज्ञान व्रत