उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’
उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं तुम नदिया, तुम सागर हो हम पानी के धारे हैं उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा घोर अंधेरे में सुना यही था साये तब तक, जब तक उजियारे हैं दुनिया की बातें मत छेड़ो हमको क्या है मालूम उसकी धुन में रहते हैं अपनी धुन के मारे […]