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आंख से उनके जो हया निकले/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

आंख से उनके जो हया निकले।मिलने-जुलने का रास्ता निकले।। रूह से तो निकल नहीं पाए।इक बदन से तो बारहा निकले।। शौक हो...
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आपसे मेरा कहां रिश्ता अलग है/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

आपसे मेरा कहां रिश्ता अलग है।सच कहें तो इश्क़ की दुनिया अलग है।। जीतकर दुनिया चलो फिर हार जाएं।हमको दुनिया से...
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नक़्श सब अपने मिटाते जाते/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

नक़्श सब अपने मिटाते जाते।मुझको दिल से भी भुलाते जाते।। फूल तुरबत पर चढ़ाते जाते।रस्मे-उल्फ़त ही निभाते जाते।। तुम हो दरिया हो...
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हुई है मुहब्बत हमें शायरी से/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

हुई है मुहब्बत हमें शायरी से।निभाएं कहां तक भला ज़िंदगी से।। दुखों ने तो यारो गले से लगाया।मिली कब ख़ुशी हमको...
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मुहब्बत को कमाना जानते हैं/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

मुहब्बत को कमाना जानते हैं।कि हम सब कुछ लुटाना जानते हैं।। ख़ुशी का हम घराना जानते हैं।ग़मे-दिल का ठिकाना जानते हैं।। मुहब्बत...
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अकेलेपन की आदत हो गई है/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

अकेलेपन की आदत हो गई है।मुझे शायद मुहब्बत हो गई है।। मुलाजि़म हो गया बेटा मेरा भी।मुझे अब कुछ सहूलत हो...
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नया इक शौक़ पैदा कर रहे हैं/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

नया इक शौक़ पैदा कर रहे हैं।बला का वो तमाशा कर रहे हैं।। मुहब्बत में ख़सारा कर रहे हैं।।ख़ुशी में कुछ...
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इक नज़र डाले न कोई सरसरी भी/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

इक नज़र डाले न कोई सरसरी भी।बह्र से ख़ारिज़ हुई क्या ज़िंदगी भी।। कोई सोचे कोई समझे कोई बूझे।कोई तो देखे...
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ये बला कोई आसमानी है/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

ये बला कोई आसमानी है।'जिंदगी दर्द की कहानी है'।। आप ख़ुद से अगर छिपाएं तो।आपको बात इक बतानी है।। जिस्म इक दिन...
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झूठों का संसार है बाबा/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली

झूठों का संसार है बाबा।सच कितना लाचार है बाबा।। इन्सां इन्सां से लड़ता है।ज़ेहन से बीमार है बाबा।। घर-घर में सब दीप...
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