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उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं तुम नदिया, तुम सागर हो हम पानी के धारे हैं उसने...
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घोंसले से झाँककर कहती है चिड़िया, पेड़ मत काटो/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

घोंसले से झाँककर कहती है चिड़िया, पेड़ मत काटो सूख जाएंगे सभी तालाब दरिया, पेड़ मत काटो मैं ये ग़ज़लों...
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फूल पत्ते खिल उठेंगे तुम जड़ों पर ध्यान देना/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

फूल पत्ते खिल उठेंगे तुम जड़ों पर ध्यान देना सब शजर ऊँचे बढ़ेंगे तुम जड़ो पर ध्यान देना शक्ल सूरत...
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नई कहानी हूँ क़िस्सा सुना सुनाया नईं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

नई कहानी हूँ क़िस्सा सुना सुनाया नईं मैं ताज़ा बूँद हूँ,पानी बहा बहाया नईं भले बुलंदी ज़रा कम हो पर...
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है नींद एक नशा और ख़्वाब धोखा है/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

है नींद एक नशा और ख़्वाब धोखा है ये बात आँख न समझेगी इसपे पर्दा है न पूछियेगा अभी हाल...
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हम ख़ुद को अक्सर यूँ समझाने लगते हैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

हम ख़ुद को अक्सर यूँ समझाने लगते हैं छोड़ो ना दूर के ढोल सुहाने लगते हैं सच्चा तो बेपर्दा बाहर...
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अचेतन और चेतन मन के झगड़ों में फंसा हूँ मैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

अचेतन और चेतन मन के झगड़ों में फंसा हूँ मैं इधर सागर उधर नदिया न जाने यार क्या हूँ मैं...
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इस जहां से मिला जुला हूँ मैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

इस जहां से मिला जुला हूँ मैं, कौन सा दूध का धुला हूँ मैं। ग़ौर से देख मैं समन्दर हूँ,...
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हवा को साफ़ नदी ताल को भरे रखना/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

हवा को साफ़ नदी ताल को भरे रखना, ये चाहते हो तो जंगल सभी हरे रखना। सुखों दुखों का ही...
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सर्वसुपूजित राम हैं/गीत/नन्दिता शर्मा माजी

सत्कर्मो की सोच जहाँ है, वहीं सुवन्दित राम हैं। जहाँ जहाँ मर्यादा है बस, वहीं उपस्थित राम हैं ।। निश्छल,...
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