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आओ रानी/कविता/नागार्जुन

आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी, यही हुई है राय जवाहरलाल की रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की यही हुई है राय...
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तीनों बन्दर बापू के/कविता/नागार्जुन

बापू के भी ताऊ निकले तीनों बन्दर बापू के! सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बन्दर बापू के! सचमुच जीवनदानी निकले...
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शासन की बंदूक/कविता/नागार्जुन

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें...
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मोर न होगा …उल्लू होंगे/कविता/नागार्जुन

ख़ूब तनी हो, ख़ूब अड़ी हो, ख़ूब लड़ी हो प्रजातंत्र को कौन पूछता, तुम्हीं बड़ी हो डर के मारे न्यायपालिका...
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अकाल और उसके बाद/कविता/नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी...
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कालिदास/कविता/नागार्जुन

कालिदास! सच-सच बतलाना इन्दुमती के मृत्युशोक से अज रोया या तुम रोये थे? कालिदास! सच-सच बतलाना! शिवजी की तीसरी आँख...
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बादल को घिरते देखा है/कविता/नागार्जुन

अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर...
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नया तरीका/कविता/नागार्जुन

दो हज़ार मन गेहूँ आया दस गाँवों के नाम राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गई शाम सौदा पटा बड़ी...
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मैं कैसे अमरित बरसाऊँ/कविता/नागार्जुन

मैं कैसे अमरित बरसाऊँ बजरंगी हूँ नहीं कि निज उर चीर तुम्हें दरसाऊँ ! रस-वस का लवलेश नहीं है, नाहक...
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पुलिस अफ़सर/कविता/नागार्जुन

जिनके बूटों से कीलित है, भारत माँ की छाती जिनके दीपों में जलती है, तरुण आँत की बाती ताज़ा मुंडों...
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