नागमती-संदेश-खंड-31 पद्मावत/जायसी
फिरि फिरि रोव, कोइ नहीं डोला । आधी राति बिहंगम बोला ॥ “तू फिरि फिरि दाहै सब पाँखी । केहि दुख रैनि न लावसि आँखी” नागमती कारन कै रोई । का सोवै जो कंत-बिछोई ॥ मनचित हुँते न उतरै मोरे । नैन क जल चुकि रहा न मोरे ॥ कोइ न जाइ ओहि सिंगलदीपा । […]