दोहे/अमीर खुसरो
अपनी छवि बनाई के मैं तो पी के पास गई। जब छवि देखी पीहू की सो अपनी भूल गई।। अंगना तो परबत भयो, देहरी भई विदेस। जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।। आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ। न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।। […]