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दोहा

दोहे/अमीर खुसरो

अपनी छवि बनाई के मैं तो पी के पास गई। जब छवि देखी पीहू की सो अपनी भूल गई।। अंगना तो परबत भयो, देहरी भई विदेस। जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।। आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ। न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।। […]

दोहा/वसंत जमशेदपुरी

यौवन के आकाश में, सुरधनुषी उल्लास। प्रणय-गंध ले बाँटती, मुट्ठी भर वातास।। मेहँदी वाले हाथ में,दिखा गुलाबी फूल। उसे मिलेगा फूल यह,जिस पर प्रभु अनुकूल।। मेहँदी रंजित हाथ हों, अधरों पर मुस्कान। मदमाते दो नयन हों,मौन निमंत्रण जान।। आँखें पत्थर-सी हुईं,प्रिय-दर्शन की आस। हाथ छोड़ मेहँदी करे,अब कुंतल में हास।। विरही मन धीरज धरो, करो […]

मन की बात – दोहों के साथ/दोहा/ नन्दिता माजी शर्मा

मन की बात – दोहों के साथ विनती करती नन्दिता, सुन लो मन की बात। करनी का संज्ञान लो, हो कोई भी जात।।१।। मन में हो सद्भावना, शिक्षित हो परिवार। संस्कृति का उत्थान हो, मन से मिटे विकार।।२।। अधिकारों को यश मिले, हो रक्षित परिवेश। दुष्कर्मौं का नाश हो, द्वेष न रखना न लेश।।३।। आत्मनिर्भर […]

क्रोध पर दोहे/दोहा/ नन्दिता माजी शर्मा

क्रोध में उठना उठते हैं जो क्रोध में, बिगड़े उनके काम। जलते हैं वे कोप वश, प्रतिदिन आठों याम।। क्रोध में पूजन पूजन हो जब रोष में, मिलते नहीं दयाल। शीतल मन से जाप हो, करते ईश निहाल।। क्रोध में खाना भोजन हो जब क्रोध में, बिना लगाए भोग। सेहत को लगता नहीं, बढ़ते नाना […]

दोहा/डॉ. बिपिन पाण्डेय

लोभी ढोंगी लालची,झूठे चोर लबार। बन बैठे जनतंत्र के ,सारे पहरेदार।।1 सूरज कहता मैं हरूँ,धरती का अँधियार। मुझको नहीं पसंद है,जुगनू का किरदार।। 2 गाँवों में खंभे गड़े ,खिंचे हुए हैं तार। बिल आते बिजली नहीं,किससे करें गुहार।।3 चेहरे पर मासूमियत, दिल में है तूफ़ान। अपना हक़ है माँगता,हर मज़दूर किसान।।4 मिलती है सम्मान निधि,नहीं […]

दोहे (माँ का राज़)/डॉ. बिपिन पाण्डेय

माँ की  वाणी में मिले, सद्ग्रंथों  का सार। उसकी ममता के बिना,जीवन है निस्सार।।1   माँ के हाथों से बनी, चीजों में हो स्वाद । सबको ऐसे तृप्ति दे, जैसे कथा प्रसाद ।।2 मात-पिता इस जगत में,ईश्वर  रूप समान। इनके शुभ आशीष में ,प्रभु का हो वरदान।।3 उतने भी सिक्के नहीं,देता कमा कुमार। माँ ने […]

दोहे/अनन्त आलोक

बिल्ली रस्ता काटती, होती है बदनाम l मुझको अपना काम है, उसको अपना काम l1l हिंदी की चौपाल पर, बैठे चार चिराग | तय था देंगे रौशनी, लगा रहे हैं आग |2| लेखक तो लेखक हुआ, बेशक झोला छाप | पुस्तक तेरी जेब में, जितनी मर्जी छाप |3| सोते उठते फोन से, होती आँखें चार […]

दोहा/तारकेश्वरी ‘सुधि’

पेड़ भगाएँ आपदा , भूख , गरीबी , रोग । देते  हैं  ताज़ी  हवा ,  काया  रखें  निरोग॥1 पेट भरा हो तन ढका, हर मुख पर मुस्कान। करो  दुआ  अपना  बने, ऐसा  देश  महान।।2 पेड़ हवा में हो रही , कब  से  लम्बी  बात । पावस में निकले सभी , छुपे हुए जज़्बात ।।3 बना  […]

दोहे/रैदास

ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।।1 करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।।2 कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा। वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।3 कह रैदास […]

दोहे/कबीर

दुख में सुमरिन सब करे, सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमरिन करे, दुख काहे को होय॥१॥ तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँयन तर होय । कबहुँ उड़ आँखिन परे, पीर घनेरी होय॥२॥ माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मन का डार दें, मन का मनका फेर॥३॥ […]