बादल को घिरते देखा है/कविता/नागार्जुन
अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्णिम कमलों पर गिरते देखा है, बादल को घिरते देखा है। तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस की उमस […]