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हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस
ज़ेह्न चाहे जो कहे दिल से यही निकला कि बस

मसअलों का हल कहीं भी जंग से मुमकिन नहीं
जंग से फिर मसअला ऐसा खड़ा होगा कि बस

इक हसीं दुनिया बसा कर उसने हमको सौंप दी
इस मुहब्बत का सिला उसको मिला ऐसा कि बस

हर मुहब्बत का बुरा अंजाम होता है मगर
हर मुहब्बत करने वालों को नशा ऐसा कि बस

यह मुहब्बत हर मरज़ की इक दवा है दोस्तो!
ये ख़ुदा ने दी है सबको, वो असर होगा कि बस

हर मुसीबत में वही इक याद आता है मुझे
हर ख़ुशी में हो गया मैं ख़ुदग़रज़ इतना कि बस

अपनी मर्ज़ी की किरन मैं ज़िंदगी कब जी सका
उसने मायाजाल में कुछ इस तरह फांसा कि बस

लेखक

  • प्रेमकिरण प्रकाशन- 'आग चखकर लीजिए', 'पिनकुशन', 'तिलिस्म टूटेगा' (हिन्दी ग़ज़ल संग्रह), ज़ह्राब (उर्दू ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित। ग़ज़ल एवं कविता के विभिन्न साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित। इनके अतिरिक्त हिन्दी एवं उर्दू की पत्रिकाओं में ग़ज़ल कविता, कहानी, फीचर, साक्षात्कार, पुस्तक समीक्षा, कला समीक्षा, साहित्यिक आलेख प्रकाशित। संपादन: समय सुरभि ग़ज़ल विशेषांक । अनुवाद प्रसारण: नेपाली एवं बंगला भाषा में ग़ज़लों का अनुवाद। सम्मान: डॉ. मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर' सम्मान से सम्मानित (2005)। दुष्यंत कुमार शिखर सम्मान से सम्मानित (2006)। शाद अजीमाबादी सम्मान (2007)। बिहार उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित (2009) प्रसारण: दूरदर्शन, आकाशवाणी, पटना के हिन्दी एवं उर्दू विभाग से कविता, कहानी एवं ग़ज़लें प्रसारित तथा अनेक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में शिरकत । संपर्क: कमला कुंज, गुलज़ारबाग, पटना-800007 मो. : +91-9334317153 ई-मेल : premkiran2010@gmail.com

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