+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

कभी न तुमसे वफ़ा रही है /गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

मुखालफत का जवाब देना
सही नहीं है हिसाब देना

अगर पढ़ाई हुई हो पूरी
चलो हमारी किताब  देना

कभी न तुमसे वफ़ा रही है
कभी न मुझको गुलाब देना

अभी से रहना हिदायतों में
अभी से मां का नक़ाब देना

हमें कभी भी लगा न अच्छा
ग़ज़ल सुनाकर अज़ाब देना

लेखक

  • डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी जन्म -10 जनवरी 1978, बेगूसराय, बिहार हिन्दी,शिक्षा शास्त्र,और अंग्रेजी में स्नातकोत्तर,बीएड और पत्रकारिता,पीएच-डी हिन्दी, यू जी सी नेट हिन्दी. -खुले दरीचे की खुशबू, खुशबू छू कर आई है (हिन्दी ग़ज़ल )परवीन शाकिर की शायरी, गजल लेखन परंपरा और हिंदी ग़ज़ल का विकास, डॉ.भावना का गजल साहित्य चिंतन और दृष्टि(आलोचना)चांद हमारी मुट्ठी में है, आख़िर चांद चमकता क्यों है, मैं आपी से नहीं बोलती (बाल कविता )आदि पुस्तकें प्रकाशित, हिंदी, उर्दू और मैथिली की तमाम राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में नियमित लेखन आकाशवाणी और दूरदर्शन से लगातार प्रसारण विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा सौ से अधिक पुरस्कार तथा सम्मान. वृत्ति -अध्यापन पत्राचार -ग्राम /पोस्ट -माफ़ी, वाया -अस्थावां, ज़िला-नालंदा, बिहार 803107, मोबाइल 9934847941,620525425 zeaurrahmanjafri786@gmail.com

    View all posts
कभी न तुमसे वफ़ा रही है /गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

×