पेड़ की छाँव में बिस्तरा रहने दो
इस तरह गाँव मुझमें मेरा रहने दो
चाँद,तारे,फ़लक सब मुबारक़ तुम्हें
मेरे हिस्से मेरी ये धरा रहने दो
है ज़रूरी बहुत ये ग़ज़ल के लिये
इसलिए ज़ख़्म मेरा हरा रहने दो
चल सको तो अकेले चलो धूप में
कारवां को मरा का मरा रहने दो
आप ‘अविनाश’ मुझपे रहम ये करो
हूँ अगर मैं बुरा तो बुरा रहने दो
लेखक
-
अविनाश भारती जन्मस्थान- मुजफ्फरपुर जन्मतिथि- 08 जनवरी 1995 शिक्षा - पीएचडी (शोधरत) सम्प्रति (व्यवसाय)- सहायक प्राध्यापक लेखन विधाएँ- ग़ज़ल, आलोचना • प्रकाशित पुस्तकें - 1.अदम्य (ग़ज़ल संग्रह) 2.बाबा बैद्यनाथ झा की ग़ज़ल साधना 3. हिन्दी ग़ज़ल के साक्षी • प्रकाशन कई साझा संकलन में ग़ज़लें प्रकाशित, हंस, वागर्थ, साहित्य अमृत, ककसाड़, गीत गागर, हरिगंधा, प्रेरणा अंशु, श्री साहित्यारंग, दैनिक जागरण, प्रभात ख़बर, हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, कविता कोश, अमर उजाला काव्य आदि पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर ग़ज़लें प्रकाशित। • प्रसारण - दूरदर्शन एवं आकाशवाणी,पटना पर निरंतर ग़ज़लों का प्रसारण • सम्मान/पुरस्कार- नागार्जुन काव्य सम्मान 2020, साहित्य सर्जक सम्मान-2023, बिहार गौरव सम्मान- 2023 • संपर्क - ग्राम+ पोस्ट - अहियापुर प्रखण्ड - साहेबगंज जिला - मुजफ्फरपुर (बिहार) पिनकोड- 843125 ईमेल- avinash9889@gmail.com मोबाइल नं०- 9931330923
View all posts