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प्यार के दो तार से, सँसार बाँधा है/गीत/शैलेन्द्र

बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है
प्यार के दो तार से, सँसार बाँधा है
रेशम की डोरी से –
रेशम की डोरी से सँसार बाँधा है

सुंदरता में जो कन्हैया है
ममता में यशोदा मैय्या है
वो और नहीं दूजा कोई
वो तो मेरा राजा भैया है बहना ने भाई…

मेरा फूल है तू, तल्वार है तू
मेरी लाज का पहरेदार है तू
मैं अकेली कहाँ इस दुनिया में
मेरा सारा सँसार है तू
बहना ने भाई…

हमें दूर भले किस्मत कर दे
अपने मन से न जुदा करना
सावन के पावन दिन भैया
बहना को याद किया करना
बहना ने भाई..

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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