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ईश्वर को चुनौती/अनिता रश्मि

उसकी हथेलियों पर आ बैठी धूप गौरैया सी, जब उसने खिड़की के सामने अपनी हथेलियाँ फैलाईं।
उसने झट दोनों हथेलियाँ बंद कर लीं। मुट्ठी में नहीं समा पाई धूप। छिटक कर बाहर आ गई। बंद मुट्ठी के ऊपर।
उसने पिछले महीने ही फ्लैट में गृहप्रवेश पूजा की थी। तब से धूप के एक-एक कतरे के लिए तरसता रहा था। दिसंबर की भयंकर शीत लहरी में भी फ्लैट को उसके हिस्से की नहीं मिली थी।
आज सूर्य के उत्तरायण होने पर पहली बार दोपहर को थोड़ी सी धूप थोड़ी देर के लिए नजर आई।
उसने अपने वातायन के बाहर झाँका। चारों ओर से बिल्डिंगों की अनगिन कतारों ने उसकी इमारत को घेर रखा था।
उसने सर ऊपर उठाकर सूर्य को देखने की कोशिश की। वह निगाहों की जद में आ न सका। सूर्य कह रहा था,
“ईश्वर द्वारा दी गई खूबसूरती को नकार सब नई खूबसूरती गढ़ने का लालच पालेंगे तो और होगा क्या?”
 धूप आदमी के हाथ से छिटक गायब हो चुकी थी।
‘सबकी जिंदगी से भी गायब न हो जाए।’
आदमी चारों ओर से घिरते आ रहे कंक्रीट के जंगलों को देख आशंकित।

लेखक

  • अनिता रश्मि मूलतः कथाकार। दो उपन्यास सहित चौदह किताबें। चार सौ से अधिक विविधवर्णी रचनाएँ प्रमुख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। अद्यतन : हंस सत्ता विमर्श और दलित विशेषांक के पुस्तक रूप में एक कहानी "मिरग मरीचा" परिकथा द्वारा सत्ताईस कहानियां पुस्तक में कहानी "संकल्प" "सरई के फूल", "हवा का झोंका थी वह" कथा संग्रह, "रास्ते बंद नहीं होते" लघुकथा संग्रह। संपादन: डायमंड बुक्स कथामाला के अंतर्गत झारखंड की 21 नारी मन की कहानियां। अनेक प्रतिष्ठित सम्मान, पुरस्कार। इस वर्ष पांच सम्मान। शोध में रचनाएं शामिल। संपर्क : 1 सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड -834002

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