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मानवता करे पुकार/डॉ अंजु दुआ जैमिनी

मानवता करे पुकार
इस देश में
हर धर्म के 
लोग बसते हैं,
शायद तभी, 
त्रिशूल और डंडे 
बंटते हैं। 
कुछ बहुसंख्यक 
तो कुछ
अल्पसंख्यक रहते हैं,
तभी दोनों
बराबर बराबर
मरते हैं,
खून के प्यासों की पुकार
 जंगल के शेर भी 
 डरते हैं,
मानव को दानव में
बदलते देख 
दानव सहमते हैं,
 कहाँ खो गया आदमी 
 मानवता पुकारे है
 मंदिर-मस्जिद के झगड़े में 
जाने कितने चूल्हे 
रोज़ बुझते हैं,
कितने नरसंहार
 बच्चे रोटी के लिए
 बिलखते हैं 
तांडव रुके तो
 रोटी खोजने लोग 
बाहर निकलते हैं।
इस देश में
हर धर्म के लोग
बसते हैं।
– डॉ अंजु दुआ जैमिनी

लेखक

  • डॉ अंजु दुआ जैमिनी पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, आयकर विभाग, 31 पुस्तकें प्रकाशित राष्ट्रीय भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ महिला साहित्यकार सम्मान ( हरियाणा साहित्य अकादमी) हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा मुंशी गुमानी लाल पुरस्कार से सम्मानित

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