चराग़-फूल-सितारों की जान ले ली है/ग़ज़ल/ए.एफ़. ’नज़र’
चराग़-फूल-सितारों की जान ले ली है, तेरी अदाओं ने कितनों की जान ले ली है। तुम्हारी सुर्ख़ हँसी पर निसार हैं कलियाँ, तुम्हारे होंठों ने फूलों की जान ले ली है। न फूल महके न पेड़ों पे कोयलें बोलीं, तेरे ग़मों ने बहारों की जान ले ली है। वो चाहते थे कि दरिया को बाँध […]