जब हवाओं में है आग की-सी लहर/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय
जब हवाओं में है आग की-सी लहर देखिए, खिल रहे गुलमोहर किस क़दर! हौसले की बुलन्दी न कम हो कभी आदमी के लिए ही बना हर शिखर उस तरफ़ का किनारा न उसके लिए जिसके भीतर भरा डूब जाने का डर ज़िन्दगी बे-उसूलों की ऐसी लगे जैसे बे-शाख़, बिन पत्तियों का शजर चाँदनी में चिराग़ों […]