ठाठ है फ़क़ीरी अपना/गीत/गोपालदास नीरज
गली-गली सपने बेचें, बाँटें सितारे करें ख़ाली हाथ सौदा, साँझ-सकारे ठाठ है फ़क़ीरी अपना जनम-जनम से।। कोई नहीं मंज़िल अपनी कोई ना ठिकाना प्यार-भरी आँखों में है अपना आशियाना धरम-करम कोई नहीं हमें बाँध पाये अपने गाँव में भी रहे बनके हम पराये बन्धनों से नहीं, हम तो बंधते क़सम से ठाठ है फ़क़ीरी अपना […]