युद्ध और शांति/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’
हम जिन्होंने युद्ध नहीं किया तुम्हारे शरीफ़ बेटे नहीं हैं ज़िंदगी! वैसे हम हमेशा शरीफ़ बनना चाहते रहे हमने दो रोटियों और ज़रा-सी रज़ाई के एवज़ में युद्ध के आकार को सिकोड़ना चाहा हम बिना शान के फंदों में शांति-सा कुछ बुनते रहे हम बर्छी की तरह हड्डियों में चुभे सालों को उम्र कहते रहे […]