मुक्तकी/गोपालदास नीरज
शब्द तो शोर है, तमाशा है शब्द तो शोर है, तमाशा है, भाव के सिन्धु में बताशा है, मर्म की बात होंठ से न कहो मौन ही भावना की भाषा है । देह तो सिर्फ साँस का घर है देह तो सिर्फ साँस का घर है, साँस क्या? बोलती हवा भर है, तुम मुझे अच्छा-बुरा […]