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Year: 2025

मुक्तकी/गोपालदास नीरज

शब्द तो शोर है, तमाशा है शब्द तो शोर है, तमाशा है, भाव के सिन्धु में बताशा है, मर्म की बात होंठ से न कहो मौन ही भावना की भाषा है । देह तो सिर्फ साँस का घर है देह तो सिर्फ साँस का घर है, साँस क्या? बोलती हवा भर है, तुम मुझे अच्छा-बुरा […]

आज की रात बड़ी शोख बड़ी नटखट है/गोपालदास नीरज

आज की रात बड़ी शोख बड़ी नटखट है आज तो तेरे बिना नींद नहीं आयेगी आज तो तेरे ही आने का यहाँ मौसम है आज तबियत न ख़यालों से बहल पायेगी। देख ! वह छत पै उतर आई है सावन की घटा, खेल खिलाड़ी से रही आँख मिचौनी बिजली दर पै हाथों में लिये बाँसरी […]

उतरा है रंग बहारों का/गीत/गोपालदास नीरज

फूलों की आँखों में आँसू उतरा है रंग बहारों का लगता है आने वाला है फिर से मौसम अंगारों का। आंतरिक सुरक्षा के भय से बुलबुल ने गाना छोड़ दिया गोरी ने पनघट पर जाकर गागर छलकाना छोड़ दिया, रस का अब रास कहाँ होता है नाटक बस तलवारों का । लगता है आने वाला […]

यह प्यासों की प्रेम सभा है/गीत/गोपालदास नीरज

यह प्यासों की प्रेम सभा है यहाँ सँभलकर आना जी जो भी आये यहीं किसी का हो जाये दीवाना जी। ऐसा बरसे रंग यहाँ पर जनम-जनम तक मन भींगे फागुन बिना चुनरिया भींगे सावन बिना भवन भींगे ऐसी बारिश होय यहीं पर बचे न कोई घराना जी। यह प्यासों की प्रेम सभा है… यहाँ न […]

ठाठ है फ़क़ीरी अपना/गीत/गोपालदास नीरज

गली-गली सपने बेचें, बाँटें सितारे करें ख़ाली हाथ सौदा, साँझ-सकारे ठाठ है फ़क़ीरी अपना जनम-जनम से।। कोई नहीं मंज़िल अपनी कोई ना ठिकाना प्यार-भरी आँखों में है अपना आशियाना धरम-करम कोई नहीं हमें बाँध पाये अपने गाँव में भी रहे बनके हम पराये बन्धनों से नहीं, हम तो बंधते क़सम से ठाठ है फ़क़ीरी अपना […]

भाव-नगर से अर्थ-नगर में/गीत/गोपालदास नीरज

चलते चलते पहुँच गए हम भाव-नगर से अर्थ-नगर में जाने कितने और मोड़ हैं जीवन के अनजान सफर में। नहीं ज़िन्दगी रही ज़िन्दगी शब्दों की दूकान हो गई, ख़ुद पर आए शर्म हमें मंज़िल इतनी आसान हो गई अपने ही हाथों से हमने आग लगा दी अपने घर में चलते-चलते पहुँच गए हम ॥ मोती […]

आँसू जब सम्मानित होंगे/गीत/गोपालदास नीरज

आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा। जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।। मान-पत्र मैं नहीं लिख सका राजभवन के सम्मानों का मैं तो आश़िक रहा जनम से सुन्दरता के दीवानों का लेकिन था मालूम नहीं ये केवल इस ग़लती के कारण सारी उम्र भटकने वाला मुझको शाप दिया जाएगा। आँसू […]

छिप-छिप अश्रु बहाने वालो/गीत/गोपालदास नीरज

छिप-छिप अश्रु बहाने वालो, मोती व्यर्थ बहाने वालो कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालो, डूबे बिना नहाने वालो कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं […]

तू उठा तो उठ गई सारी सभा/गीत/गोपालदास नीरज

तू उठा तो उठ गई सारी सभा सिर्फ मन्दिर थरथराता रह गया! स्वप्न की डोली उठा आँसू चले धूल फूलों की जवानी हो गई शाम की स्याही बनी दिन की खुशी देह की मीनार पानी हो गई तू गया क्या-हाय, बेमौसम यहाँ एक बादल डबडबाता रह गया ! तू उठा तो उठ गई सारी सभा […]

अब जमाने को खबर कर दो कि ‘नीरज’ गा रहा है/गीत/गोपालदास नीरज

अब जमाने को खबर कर दो कि ‘नीरज’ गा रहा है जो झुका है वह उठे अब सर उठाए, जो रूका है वह चले नभ चूम आए, जो लुटा है वह नए सपने सजाए, जुल्म-शोषण को खुली देकर चुनौती, प्यार अब तलवार को बहला रहा है। अब जमाने को खबर कर दो कि ‘नीरज’ गा […]