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इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है
नाग ज़हरीला हमारे बीच ऐसा कौन है

प्रेम और सद्भाव दोनों लापता हैं इन दिनों
शह्र में अब चैन की बंशी बजाता कौन है

सारी दुनिया जल रही है नफ़रतों की आग में
रात-दिन इसको हवा यूं देने वाला कौन है

सारे मायावी शिकारी हैं हमारे आस-पास
क्या पता किस के निशाने पर परिंदा कौन है

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई सिख ईसाई है
आदमीयत की यहां अब बात करता कौन है

दीनो-मज़हब पर सभी ईमान रखते हैं मगर
दीनो-मज़हब के कहे रस्ते पे चलता कौन है

सो गये हैं लोग अपनी अपनी मिट्टी ओढ़ कर
हम किरन किसको जगायें जगने वाला कौन है

लेखक

  • प्रेमकिरण

    प्रेमकिरण प्रकाशन- 'आग चखकर लीजिए', 'पिनकुशन', 'तिलिस्म टूटेगा' (हिन्दी ग़ज़ल संग्रह), ज़ह्राब (उर्दू ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित। ग़ज़ल एवं कविता के विभिन्न साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित। इनके अतिरिक्त हिन्दी एवं उर्दू की पत्रिकाओं में ग़ज़ल कविता, कहानी, फीचर, साक्षात्कार, पुस्तक समीक्षा, कला समीक्षा, साहित्यिक आलेख प्रकाशित। संपादन: समय सुरभि ग़ज़ल विशेषांक । अनुवाद प्रसारण: नेपाली एवं बंगला भाषा में ग़ज़लों का अनुवाद। सम्मान: डॉ. मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर' सम्मान से सम्मानित (2005)। दुष्यंत कुमार शिखर सम्मान से सम्मानित (2006)। शाद अजीमाबादी सम्मान (2007)। बिहार उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित (2009) प्रसारण: दूरदर्शन, आकाशवाणी, पटना के हिन्दी एवं उर्दू विभाग से कविता, कहानी एवं ग़ज़लें प्रसारित तथा अनेक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में शिरकत । संपर्क: कमला कुंज, गुलज़ारबाग, पटना-800007 मो. : +91-9334317153 ई-मेल : premkiran2010@gmail.com

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