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गरदनें भी कमाल करती हैं/ग़ज़ल/ए.एफ़. ’नज़र’

गरदनें भी कमाल करती हैं,
चाकुओं से सवाल करती हैं।

एक वहशत है जिसकी सदियों से,
बस्तियाँ देखभाल करती हैं।

दुनिया कपड़े बदलती है अपने,
सम्तें जब ख़ुद को लाल करती हैं।

तेरे आँगन की फ़ाख़्ताएँ अब,
मेरे घर में धमाल करती हैं।

उसकी आँखों की ख़ैर हो मौला,
उसकी आँखें सवाल करती हैं।

लेखक

  • ए.एफ़. ’नज़र’ जन्म -30 जून,1979 गाँव व डाक- पिपलाई, तहसील- बामनवास ज़िला- गंगापुर सिटी (राज), पिन- 322214 मोबाइल - 9649718589 Email- af.nazar@rediffmail.com

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गरदनें भी कमाल करती हैं/ग़ज़ल/ए.एफ़. ’नज़र’

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