काश यूँ हो कि मेरा प्यार ग़ज़ल हो जाए/ग़ज़ल/ए.एफ़. ’नज़र’
काश यूँ हो कि मेरा प्यार ग़ज़ल हो जाए, मैं पढ़ूँ और वो जफ़ाकार ग़ज़ल हो जाए। मैं जो दीवाना हुआ हूँ तो अजब क्या है सनम, नाम लिख दूँ तेरा दीवार ग़ज़ल हो जाए। ये सिफ़त तेरी मुहब्बत ने अता की है मुझे, लब पे मैं रख लूँ तो अंगार ग़ज़ल हो जाए। मुझपे […]