अंधेरों का क़िस्मत बदलना चाहता है/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी
वो इक चिराग़ जो हर बार जलना चाहता है वो इन अंधेरों का क़िस्मत बदलना चाहता है ये खानदानी लड़ाई का बस सबब है यही हमारा हक़ वो कहीं से निगलना चाहता है मुझे पुकार ले मौला मैं थक गया हूं बहुत हुई जो शाम तो सूरज भी ढलना चाहता है उसे पता है कि […]