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 वो अपना हाथ दुआओं में जब उठाती है/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

यह दौड़ जाती है लड़ती है खूं बहाती है  ये वो ग़ज़ल नहीं जुल्फों में दिन बिताती है  अमीरी देख के मीनू डिमांड करती है  गरीबी बात भी बासी मिले तो खाती है  रईस लोग तो एसी में क़ैद हो आये  ये धूप जिसको जलाना हो बस जलाती है  ये एक सोच जो मुझको कभी […]

 बड़ी मुश्किल से खांसी ला रहे हैं/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

वो सारे फूल बासी ला रह रहे हैं  गजल में हम उदासी ला रहे हैं  हकीकत तो ज़मीं पर दिख रही है  दलित की बात सियासी ला रहे हैं  न मतला है न मकता ही सही है  गजल हम अच्छी खासी ला रहे हैं  न कुछ लिखना न पढ़ना आ रहा है  हम अस्सी में […]

चलो तुम्हारी खुदाई को देख लेते हैं/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

वो अपने घर की भलाई को देख लेते हैं  ग़लत -सही में भी भाई को देख लेते हैं  वो लोग मेरी तरह ज़हर पी नहीं सकते  पढ़े- लिखे हैं दवाई को देख लेते हैं  तुम उसके पास जुबां खोलना तरीके से  ये जानकर भी बड़ाई को देख लेते हैं  बड़े गुरुर में रखा है तुमको […]

 हमारी   जिंदगी    यायावरी    है/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

जहां हम जी रहे थे सर उठाकर  वहां पर क्या मिला पत्थर उठाकर  भरी बरसात अब तक जी रहे हैं  अभी तक गांव में छप्पर उठाकर  किराया सब निग़ल लेता है पैसा  रहें हम किस तरह से घर उठाकर  हमारी   जिंदगी    यायावरी    है  कहीं भी चल दिए घर भर उठाकर  जहां देखा वहीं  […]

 मुफ़लिसों की कहां बाजार से गाड़ी निकली/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

 मुफ़लिसों की कहां बाजार से गाड़ी निकली  जब सड़क पर कभी रफ्तार से गाड़ी निकली  झोपड़ी आ गई रस्ते में हमारी जब से  फिर उसी घर की ही दीवार से गाड़ी निकली  आज कुछ मजमे ने कुछ बात न मानी उनकी  तेज रफ्तार में इंकार से गाड़ी निकली  वो अपाहिज था भटकता रहा रिक्शे के […]

मुहब्बत हो गई धोखा हुआ है/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

हमारे साथ भी ऐसा हुआ है ज़रा सी बात पे धोखा हुआ है यहीं पर बादलों में हम मिले थे ये चेहरा चाँद सा देखा हुआ है हमें तुम छोड़ कर जाओगे कैसे तुम्हारा घर हमें जाना हुआ है न कुछ भी और है इसकी हकीकत मुहब्बत हो गई धोखा हुआ है जो सच को […]

कभी न तुमसे वफ़ा रही है /गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

मुखालफत का जवाब देना सही नहीं है हिसाब देना अगर पढ़ाई हुई हो पूरी चलो हमारी किताब  देना कभी न तुमसे वफ़ा रही है कभी न मुझको गुलाब देना अभी से रहना हिदायतों में अभी से मां का नक़ाब देना हमें कभी भी लगा न अच्छा ग़ज़ल सुनाकर अज़ाब देना

हमारा क्या है शराफ़त बनाये रखेंगे/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

जो हट गये भी तो आदत बनाये रखेंगे हम उनसे अपनी मोहब्बत बनाये रखेंगे हर इक शख्स से मिलना नहीं जरूरी है जहां भी हो सके इज़्ज़त बनाये  रखेंगे कभी भी उसकी रिवायत पे हम न जायेंगे मेरी ज़ुबां है सदाक़त बनाये रखेंगे वहां पे जाएंगे लौटेंगे फिर से आएंगे हम अपने खूँ में हरारत […]

खमोशी   में घने  जंगल   पड़े हैं/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

इधर से किसलिए तू आ रही थी मेरी सांसों में खुशबू आ रही थी मेरा दिल हो गया उस पर निछावर वो लड़की सीख जादू आ रही थी उसे क्या हो गया दिखती नहीं है उधर तो रोज़ अन्नू आ रही  थी मेरा सर उस तरफ रक्खा गया था जिधर पत्थर सी वस्तु आ रही […]

उदास रहने को अपनी ख़ुशी बताता है/गज़ल/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी

मैं जनता हूं कहां वो सही बताता है उदास रहने को अपनी ख़ुशी बताता है  निकलना जब भी तो होशो हवास भी रखना यहां पे झूट हर इक आदमी बताता है हमें पता है कि वो ज़िंदा मार डाला गया वो डॉक्टर कि जिसे ख़ुदकुशी बताता है यों आके पर्दे पे बे हिस सा मुस्कुराते […]

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