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रोज ज़हर यूँ पीना क्या/गज़ल/सत्यम भारती

मर-मरकर यों जीना क्या
रोज ज़हर यूँ पीना क्या

घायल हर दिन होना है
चाक जिगर फिर सीना क्या

रोटी में ही उलझे हम
मक्का और मदीना क्या

सबके हिस्से दुखड़ा है
रानी, मोनू, रीना क्या

तुझसे बढ़कर जीवन में
कोई और नगीना क्या

लेखक

  • सत्यम भारती जन्म-20 मई 1995 जन्मस्थान- बेगूसराय, बिहार शिक्षा :- स्नातक, बीएचयू परास्नातक, जेएनयू नेट और जेआरएफ(हिंदी) पीएचडी(अध्ययनरत), हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा सम्प्रति- प्रवक्ता (हिंदी) राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज नैथला हसनपुर, बुलंदशहर प्रकाशित कृतियाँ- बिखर रहे प्रतिमान (दोहा-संग्रह) सुनो सदानीरा (ग़ज़ल-संग्रह)

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रोज ज़हर यूँ पीना क्या/गज़ल/सत्यम भारती

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