जिनको संसार में संभलना है
साथ मेरे ही उनको चलना है
वैसे सूरज को कौन रोकेगा
जिसकी किस्मत में रोज ढलना है
उसके किस्मत अजीब किस्मत है
अपने साये से जिसको डरना है
हमको मंजिल मिले,मिले ना मिले
हुक्म बढ़ने का है तो बढ़ना है
उन चिरागों की जिंदगी क्या है
सोये लोगों के पास जलना है
लेखक
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आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी जन्म -09 जनवरी 1942, बराह, पटना अवसान -20जुलाई 2011, बेगूसराय, बिहार शिक्षा इंटर प्रशिक्षित, आचार्य, स्नातकोत्तर (अपूर्ण ) पेशा सरकारी सेवा, शिक्षा विभाग प्रकाशित कृतियां हिन्दी 1. रश्मि रशि ( हिंदी कविता) 2. मेरी नींद तुम्हारे सपने ( हिंदी गजल ) मैथिली 1. हरवाहक बेटी ( मैथिली खंडकाव्य ) 2. निर्मोही( मैथिली कविता) अनुवाद 1. अब्दुल कलाम आजाद ( मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली ) 2. मीर तकी मीर (मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली) 3. फिराक गोरखपुरी (मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली) सलाहकार - साहित्य अकादमी दिल्ली - उच्च भाषा समिति बिहार सरकार पुरस्कार -- साहित्य अकादमी नई दिल्ली - चेतना समिति दरभंगा - विद्यापति पुरस्कार दरभंगा उपाधि - आचार्य ( संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा) संपादन सहयोग - एक-एक क़तरा नई दिल्ली - मिथिला मिहिर दरभंगा विशेष - आकाशवाणी पटना और दरभंगा से लगातार प्रसारण - डीडी बिहार से प्रसारण - देशभर के मुशायरों में शिरकत और संचालन - भगवत गीता का उर्दू काव्यानुवाद - मैट्रिक से स्नातकोत्तर तक कविताएं बिहार बोर्ड और मिथिला यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल -- कई शोधार्थियों द्वारा उनकी मैथिली कविताओं पर पीएचडी की उपाधि - उर्दू हिंदी और मैथिली की तमाम पत्र पत्रिकाओं में पांच हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित
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फजलुर रहमान हाशमी हिंदी के महत्वपूर्ण साहित्यकार हैं. वह मैथिली के पहले मुस्लिम कवि माने जाते हैं. उन्होंने मुशायरों का शानदार संचालन किया है. उनकी आवाज में अजीब कशिश थी. साथ ही याददाश्त का कोई सानी नहीं था. उर्दू हिंदी और मैथिली भाषा पर उनकी गहरी पकड़ थी. दुनिया में ऐसे लोग बिरले होते हैं.