बताओ हाल कैसा है/गज़ल/संजीव प्रभाकर
बड़े दिन बाद आए हो, बताओ हाल कैसा है? गुज़श्ता साल को छोड़ो, कहो ये साल कैसा है? हमारे शहर में मत पूछना तत्काल कैसा है, तुम्हारा घर-गृहस्थी गाँव में फिलहाल कैसा है? गुलाबी शाम का मौसम निरापद रात होती थी, जो फूलों सा ग़मकता था वो प्रातःकाल कैसा है? हमेशा हर किसी के वक्त […]