है शरारा ये मुहब्बत का,हवा मत देना/गज़ल/डॉ. कविता विकास
है शरारा ये मुहब्बत का,हवा मत देना जो सुलग ही गया दिल में तो दबा मत देना जिनसे तहज़ीबों की सौगात मिली है तुमको उनसे ही मान तुम्हारा है,गँवा मत देना बाद मुद्दत के कहीं और ये दिल उलझा है सो चुके ख़्वाबों को तुम फिर–से जगा मत देना मेरे हमसाज़ करम इतना ही करना […]