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छुपाते हम कहाँ पर आँसुओं को/डॉ. राकेश जोशी

तेरी दावत में गर खाना नहीं था
तुझे तंबू भी लगवाना नहीं था

मेरा कुरता पुराना हो गया है
मुझे महफ़िल में यूं आना नहीं था

इमारत में लगा लेता उसे मैं
मुझे पत्थर से टकराना नहीं था

ये मेरा था सफ़र, मैंने चुना था
मुझे काँटों से घबराना नहीं था

समझ लेता मैं ख़ुद ही बात उसकी
मुझे उसको तो समझाना नहीं था

तुझे राजा बना देते कभी का
मगर अफ़सोस! तू काना नहीं था

छुपाते हम कहाँ पर आँसुओं को
वहाँ कोई भी तहख़ाना नहीं था

मुहब्बत तो इबादत थी किसी दिन
फ़क़त जी का ही बहलाना नहीं था

जहाँ पर युद्ध में शामिल थे सारे
वहाँ तुमको भी घबराना नहीं था

लेखक

  • डॉ. राकेश जोशी

    डॉ. राकेश जोशी जन्म: 9 सितंबर, सन् 1970 शिक्षा: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., एम.फ़िल., डी.फ़िल. प्रकाशित कृतियां: "कुछ बातें कविताओं में" (काव्य-पुस्तिका)", पत्थरों के शहर में" (ग़ज़ल-संग्रह), "वो अभी हारा नहीं है" (ग़ज़ल-संग्रह)। संप्रति: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष। राकेश जोशी वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग के प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं. इससे पूर्व वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में हिंदी अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे. मुंबई में ही उन्होंने थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया. उनकी कविताएँ अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं. उनकी एक काव्य-पुस्तिका "कुछ बातें कविताओं में", दो ग़ज़ल संग्रह “पत्थरों के शहर में” तथा "वो अभी हारा नहीं है" अब तक प्रकाशित हुए हैं.

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