चोटीवाले दाढ़ी वाले बेैठे हैं
बस्ती बस्ती बिषधर काले बैठे हैं
भोली चिडिया जाये कहां बच्चे लेकर,
डाल डाल पर कौऐ काले बैठे हैं
अंधयारों के सर ऊँचे हैं बस्ती में,
खोफज़दा खामोश उजाले बैठे हैं
दूर रहेंजो हैं सांपों की जाति के,
हम सांपों के दांत निकाले बैठे हैं
नादां हैं कुछ लोग सरल इस दुनिया में,
जो आँखों में सपने पाले बैठे हैं
लेखक
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बृंदावन राय सरल माता- स्व. श्रीमती फूलबाई राय पिता- स्व. बालचन्द राय जन्मतिथि- 03 जून 1951 जन्म स्थान- खुरई, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा- साहित्य रत्न, आयुर्वेद रत्न, सिविल इंजीनियर । भाषा - हिंदी, बुंदेली, उर्दू । प्रकाशन- हिंदी व बुंदेली भाषा में 14 किताबें प्रकाशित । साझा संकलन- लगभग 225 संकलनों में रचनाएं सम्मलित के अलावा देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन ।
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बस्ती बस्ती बिषधर काले बैठे हैं/बृंदावन राय सरल