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  टूटना तय है यहां जब डाल से हर पात का/बृंदावन राय  सरल

टूटना तय है यहां जब डाल से हर पात का
क्यों न फिर डटकर करें हम सामना हालात का
सैकड़ों बच्चे किया करता है शब में जो यतीम
दिन में तोहफे बाँटता है अम्न की सौगा़त का
ग़म के ख़ाने में खड़ा था मैंभी तन्हा ज़ख़्म ज़ख़्म
तोड़ने निकला था घेरा ज़ुल्म की औकात का
मुल्क घर आंगन के बँटने का उठेगा प्रश्न क्यों?
जब रखेंगे ध्यान हम  हर शख़्स के जज्बात का

लेखक

  • बृंदावन राय सरल

    बृंदावन राय सरल माता- स्व. श्रीमती फूलबाई राय पिता- स्व. बालचन्द राय जन्मतिथि- 03 जून 1951 जन्म स्थान- खुरई, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा- साहित्य रत्न, आयुर्वेद रत्न, सिविल इंजीनियर । भाषा - हिंदी, बुंदेली, उर्दू । प्रकाशन- हिंदी व बुंदेली भाषा में 14 किताबें प्रकाशित । साझा संकलन- लगभग 225 संकलनों में रचनाएं सम्मलित के अलावा देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन ।

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