जो बाप हमारे हैं जी ।
वो पाप हमारे हैं जी ।।
जो कुर्सी पर हैं बैठे ।
पद-चाप हमारे हैं जी।।
मक्कार फरेबी नेता ।
संताप हमारे हैं जी ।।
है वीर भगत की रस्सी।
पर नाप हमारे हैं जी ।।
आज़ाद तिरंगे पर भी ।
शुभ-छाप हमारे हैं जी ।।
जो नभ पर दौड़ी धड़कन।
वो ताप हमारे हैं जी ।।
हम किसको कैसे मापें ।
वो माप हमारे हैं जी ।।
कर देते स्वाहा स्वाहा ।
कुछ जाप हमारे हैं जी।।
आतंकी क्या कर लेंगें ।
जब आप हमारे हैं जी।।
दिलजीत सिंह रील
जो बाप हमारे हैं जी/दिलजीत सिंह रील