बाहर पहरा ज्ञान का ,भीतर हरि का वास/दिलजीत सिंह रील
पांव चूम पगडंडियां ,सब को रहीं नवाज़ । जहां कहीं जाती नहीं, सड़कें दूर दराज।। सरल हृदय पगडंडियां, करें पथिक से प्रीत । मंजिल तक पहुंचाएंगी ,बढे चलो दिलजीत।। पापी धर्मी कौन है, भेद न मन में लाए । पगडंडी सद् भाव से, सब का बोझ उठाए।। रमी चरण रज साधु की, पगडंडी के भाल […]