भक्त सदा आतुर रहें, दर्शन को निष्काम |
भावों में खोए रहें, निश-दिन आठों याम ||-1
सिमट रही है जिंदगी, बदल रहे जज्बात |
शांति सभी को चाहिए, नहीं किसी से बात ||-2
सरल सफल शिक्षक रहा, बांट रहा हूँ ज्ञान |
परहित करता आज भी, लोग करें सम्मान ||-3
बात न माने मात की, पढ़ी-लिखी संतान |
सोच पुरानी समझ कर, देती कम सम्मान ||-4
वर्षा अब पड़ती नहीं, देती जो आनंद |
झर लगता था रात दिन, पवन बहे अति मंद ||-5
छंद ताल लय रस सहित,कविता रचे सुजान |
जग में पाते ख्याति को, लोग करें गुणगान ||-6
हर व्यक्ति करने लगे, नारी का सम्मान |
बन सकती है यह धरा, फिर से स्वर्ग समान ||-7
सुमन सुसज्जित मालती, फैली घर के द्वार |
महके आधी रात को, रहती सदा बहार ||-8
उनको करते हैं नमन, वीर मात के लाल |
सीमा पर हैं जो डटे, रक्षा को हर हाल ||-9
तेरे नयनों का प्रिये, कैसे करूँ बखान |
कजरारे बाँके नयन, लगते तीर कमान ||-10
राग-द्वेष रखना नहीं, गलती करना माफ |
मानव एक समान हैं, दिल को रखना साफ ||-11
करी कमाई पाप से, रहता मन बेचैन |
बीमारी घर में कलह, दुखी रहे दिन रैन ||-12
डॉ. अमर सिंह सैनी