याद बहुत आई मुझे, जब पीपल की छाँव/डॉ कृष्णकुमार नाज़
याद बहुत आई मुझे, जब पीपल की छाँव । सारे बंधन तोड़कर, पहुँचा अपने गाँव ।।-1 इच्छाओं ने जब धरा, आशाओं का रूप। साँस-साँस सूरज उगे, पग-पग फैली धूप।।-2 या तो यह अभिशाप है, या कोई वरदान। पलकों पर आँसू सजे, होंठों पर मुस्कान।।-3 बदल गई कुछ इस तरह नये जगत की चाल। सच्चाई निर्धन […]