मन्दिर से लेकर चले , जीने का वरदान ।
आकर वाहन से भिड़े , गये वहीं पर प्राण ।।-1
दादी , नानी के फले , आधे ही आशीष ।
दूध कहीं मिलता नहीं , पूत हुए दस-बीस ।।-2
श्रद्धा से था खा लिया , माथे लगा प्रसाद ।
अस्पताल पहुंचा दिए , ज़रा देर के बाद ।।-3
बातें गढ़ छकते रहे , निशि-दिन पंडित माल ।
जितना मोटा पेट है , उतनी मोटी खाल ।।-4
फटेहाल हैं ज्योतिषी , पेड़ तले दूकान ।
कहते हमसे आ मिलो , बन जाओ धनवान ।।-5
सूर्य , चन्द्र , नक्षत्र ग्रह , करते अपना काम ।
हम पूजा में मग्न कब , सीखा करना काम ।।-6
भगवानों की भी हुई , अब तो भीड़ अपार ।
कौन असत् है कौन सत् , किसके जाएं द्वार ।।-7
भोंपू भी लगवा लिए , सज्जा की भरपूर ।
ढोल मँजीरे साथ हैं , भक्त बड़े ही शूर ।।-8
पूजा में बैठे रहें, घंटों वो सरकार ।
भूखे -प्यासे लोग हैं, दर पर करें पुकार ।।-9
यज्ञ हवन कर चाहते , बन जाएं सब काम ।
बुद्धि खर्च करते नहीं , दें तन को आराम ।।-10
हमदर्दी दिखला रहे , बातों में सब लोग ।
मन ही मन इठला रहे , देकर यह सहयोग ।।-11
तब तो यह आई नहीं , जब था इसका काम ।
अक्ल आज आई हमें , जब है उम्र तमाम ।।-12
डॉ. नलिन