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मन्दिर से  लेकर चले/डॉ. नलिन

मन्दिर से  लेकर चले , जीने  का  वरदान ।

आकर वाहन से भिड़े , गये वहीं पर प्राण ।।-1

दादी , नानी के  फले , आधे  ही  आशीष ।

दूध कहीं मिलता नहीं , पूत हुए दस-बीस ।।-2

श्रद्धा से था खा लिया , माथे लगा प्रसाद ।

अस्पताल पहुंचा दिए , ज़रा देर के बाद ।।-3

बातें गढ़ छकते रहे ,  निशि-दिन पंडित माल ।

जितना  मोटा  पेट  है ,  उतनी  मोटी  खाल ।।-4

फटेहाल  हैं  ज्योतिषी ,   पेड़  तले  दूकान ।

कहते हमसे आ मिलो , बन जाओ धनवान ।।-5

सूर्य , चन्द्र , नक्षत्र ग्रह , करते अपना  काम ।

हम पूजा में मग्न कब , सीखा  करना  काम ।।-6

भगवानों की भी हुई , अब तो  भीड़  अपार ।

कौन असत् है कौन सत् , किसके जाएं द्वार ।।-7

भोंपू भी लगवा लिए , सज्जा की भरपूर ।

ढोल मँजीरे साथ हैं , भक्त  बड़े  ही शूर ।।-8

पूजा   में   बैठे   रहें,  घंटों  वो  सरकार ।

भूखे -प्यासे लोग हैं,  दर पर करें पुकार ।।-9

यज्ञ हवन कर चाहते , बन जाएं सब काम ।

बुद्धि खर्च करते नहीं , दें तन को  आराम ।।-10

हमदर्दी दिखला रहे , बातों  में  सब  लोग ।

मन ही मन इठला रहे , देकर यह सहयोग ।।-11

तब तो यह आई नहीं , जब था इसका काम ।

अक्ल आज आई हमें , जब  है  उम्र  तमाम ।।-12

डॉ. नलिन

लेखक

  • डॉ. नलिन

    डॉ. नलिन जन्म - 18 जनवरी , सन् 1948 शिक्षा - ज . ला . नेहरू , आयुर्विज्ञान महाविद्यालय , अजमेर से चिकित्सा स्नातक प्रकाशित पुस्तकें - एक गीत संग्रह , चार ग़ज़ल संग्रह , और दो कुण्डलिया संग्रह देश की विभिन्न पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन सम्मान और उपाधियां - कई प्रतिष्ठित सम्मान और उपाधियां प्राप्त ( सभी नि:शुल्क एवं अयाचित ) पता- डॉ. नलिन 4 , ई 6 तलवंडी कोटा (राजस्थान ) पिन- 324005

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