मानवता करे पुकार
इस देश में
हर धर्म के
लोग बसते हैं,
शायद तभी,
त्रिशूल और डंडे
बंटते हैं।
कुछ बहुसंख्यक
तो कुछ
अल्पसंख्यक रहते हैं,
तभी दोनों
बराबर बराबर
मरते हैं,
खून के प्यासों की पुकार
जंगल के शेर भी
डरते हैं,
मानव को दानव में
बदलते देख
दानव सहमते हैं,
कहाँ खो गया आदमी
मानवता पुकारे है
मंदिर-मस्जिद के झगड़े में
जाने कितने चूल्हे
रोज़ बुझते हैं,
कितने नरसंहार
बच्चे रोटी के लिए
बिलखते हैं
तांडव रुके तो
रोटी खोजने लोग
बाहर निकलते हैं।
इस देश में
हर धर्म के लोग
बसते हैं।
– डॉ अंजु दुआ जैमिनी
मानवता करे पुकार/डॉ अंजु दुआ जैमिनी