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मई 2023

सहारा गीत काःमयंक श्रीवास्तव

सहारा गीत काःमयंक श्रीवास्तव डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) याद की परछाइयों का साथ देने ले लिए राह में मिल ही गया हमको सहारा गीत का।   मूक अन्तदृष्टि की संवेदना का स्वर मिला कुछ दिनों से बंद फिर से जुड़ गया है सिलसिला। यह मधुर सौगात वैसे तो अचानक मिल गई मिल रहा किन्तु हमको स्वाद […]

प्रश्न करने दिन खड़ा थाःसुरजीत मान जलईया सिंह

प्रश्न करने दिन खड़ा थाःसुरजीत मान जलईया सिंह डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) प्रश्न करने दिन खड़ा था नींद सन्नाटों ने तोड़ी। फूटकर रोने लगा मैं गाँव के व्यवहार पर। पेड़ से पत्ते गिरे हैं टहनियों पर फिर हंसे हैं। हर तरफ जाले घिरे हैं जुगनू उनमें जा फंसे हैं। सरसराया काल देखो जोर करती हैं हवाएं। […]

जानती हैं लड़कियाँः डॉ अंजु दुआ जैमिनी

जानती हैं लड़कियाँः डॉ अंजु दुआ जैमिनी डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) जिस रोज ठानती हैं लड़कियाँ बहुत कुछ जानती हैं लड़कियाँ । जलाने से पहले दीपक, बाती को तेल में डुबोना जानती हैं लड़कियाँ । रोशन चरागों को करने का हुनर खूब जानती हैं लड़कियाँ। फकत एक मौके की दरकार कमाना जानती हैं लड़कियाँ। खण्डहरों को […]

कुछ समझ आता नहीं हैः डॉ.रामावतार सागर

कुछ समझ आता नहीं हैः डॉ.रामावतार सागर डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) कुछ समझ आता नहीं है जिंदगी तेरा लिखा। एक पल में सुख लिखा था दूसरे में क्या लिखा। साँस आती और जाती जानते हैं हम मगर, बस अचानक छूट जाता साँस का आना लिखा। सूखते से इक शज़र ने ये कहा है आह भर, तय […]

पहली कमाई दे जाएः अनिल ‘मानव’

पहली कमाई दे जाएः अनिल ‘मानव’ डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) असर ये प्यार का मेरे दिखाई दे जाए बिना कहे ही उसे सब सुनाई दे जाए लिखो तो सच ही लिखो जो दिखाई दे जाए कलम को तोड़ दो जिस दिन दुहाई दे जाए कोई भी नाप नहीं सकता वो खुशी माँ की जो माँ को […]

फिरे हम लोग दुनिया कोः किशन तिवारी भोपाल

फिरे हम लोग दुनिया कोः किशन तिवारी भोपाल डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) फिरे हम लोग दुनिया को ही अपना दर्द दिखलाते हम अपने आप से बाहर निकल कर क्यूँ नहीं आते जिसे इक रोज़ सबके सामने आना ये निश्चय है न जाने किस लिए सच बोलने से लोग घबराते हमारी और उनकी प्यास में है फ़र्क़ बस इतना हमें  पानी नहीं मिलता लहू वो रोज़ पी जाते समय के साथ चलना है तो आँखें खोल कर रखिए हमारे बीच हैं कातिल नज़र हमको नहीं आते कई सदियों का हमको है तजुर्बा जाग भी जाओ कभी गुज़रे हुए लम्हे नहीं फिर लौट कर आते सभी के हाथ को थामे जब अपनी राह चल देंगे जमीं से चाँद  तारों तक हम तिरंगा अपना फहराते किशन तिवारी

कागज़ी पहने हुएः विजय वाजिद

कागज़ी पहने हुएः विजय वाजिद डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) दूर तक मंज़र हैं सारे तीरगी पहने हुए सिर्फ़ हम ही जल रहे हैं रौशनी पहने हुए बारिशों में भीग जाने का ख़सारा उनसे पूछ जिस्म पर जो पैराहन हैं कागज़ी पहने हुए क्या कहूं यूं दर ब दर फिरना मुकद्दर है मेरा पांव जब से हैं  […]

इक कली की तरहः मनमोहन सिंह तन्हा

इक कली की तरहः मनमोहन सिंह तन्हा डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) देखने में तो है आदमी की तरह  पर महकता है वो इक कली की तरह  ये अंधेरे उसे अब डराते नहीं  जगमगाता है वो रोशनी की तरह  आईने की तरह उसका है साफ दिल  उसका हर लफ्ज़ है बंदगी की तरह  मुझसे जब वह मिला […]

बगावत लिखी हैः पूनम सिंह

बगावत लिखी हैः पूनम सिंह डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) कलम ने मेरी फिर हिमाकत लिखी है, छाई हर तरफ वो बगावत लिखी है ।।  नफरत के शजर हैं लगे हर तरफ, उठ रही आंधी की कयामत लिखी है ।। खिले थे बाग हर तरफ लहलहाते, जाने किसने गुलशन की आफत लिखी है।। अहम की हर तरफ […]

हार कैसे मान लें हमः डा.रमेश कटारिया

हार कैसे मान लें हमः डा.रमेश कटारिया डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) नफरती तेवर तुम्हारे हार कैसे मान लें हम। ठीक से पहले तुम्हे हम जान लें पहचान लें हम। नफरतें करते रहे और प्यार जतलाते रहे। उसी थाली में छेद किया जिसमें तुम खाते रहे। इन तुम्हारी हरकतों को मनुहार कैसे मान लें हम। कितना समझाया […]

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