बेदर्दों को दर्द सुना कर,क्या होगा/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय
बेदर्दों को दर्द सुना कर,क्या होगा बहरों की महफ़िल में गा कर क्या होगा! आस्तीन में जिसने पाला साँप यहाँ कहिए उस से हाथ मिलाकर क्या होगा! नाजुक है,नादाँ है-संभाले रखिए दिल दीवारों से टकरा कर क्या होगा! काग़ज के ये फूल रंग है,गंध नहीं इनसे पूजन – थाल सजा कर क्या होगा! जो भी […]