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ग़ज़ल

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है नाग ज़हरीला हमारे बीच ऐसा कौन है प्रेम और सद्भाव दोनों लापता हैं इन दिनों शह्र में अब चैन की बंशी बजाता कौन है सारी दुनिया जल रही है नफ़रतों की आग में रात-दिन इसको हवा यूं देने वाला कौन है सारे मायावी शिकारी हैं हमारे […]

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस ज़ेह्न चाहे जो कहे दिल से यही निकला कि बस मसअलों का हल कहीं भी जंग से मुमकिन नहीं जंग से फिर मसअला ऐसा खड़ा होगा कि बस इक हसीं दुनिया बसा कर उसने हमको सौंप दी इस मुहब्बत का सिला उसको मिला ऐसा कि […]

जो परीशान फ़सीलों के उधर है कोई/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

जो परीशान फ़सीलों के उधर है कोई तो कहां चैन से इस ओर बशर है कोई कौन ख़ुशियों के निवालों को उड़ा देता है साफ़ दिखता तो नहीं चेहरा मगर है कोई ज़ख़्म की एक सी तहरीर रक़म है दिल पर पढ़ने वाला न इधर है न उधर है कोई शह्र वीरान हुआ कैसे ये […]

चौंक के जाग उठा नींद में सोने वाला/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

चौंक के जाग उठा नींद में सोने वाला जाने किस ख़्वाब में डूबा था बिछोने वाला कम से कम क़त्ल का मंज़र तो न देखा उसने जागने वालों से अच्छा रहा सोने वाला मां आंचल पे हैं बच्चों के लहू के छींटें कोई आंसू नहीं इस दाग़ को धोने वाला जाने किस दिल से सुनाता […]

ख़ून के आंसू यतीमों को रुलाते रहिए/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

ख़ून के आंसू यतीमों को रुलाते रहिए प्यास अपनी इसी दरिया से बुझाते रहिए भूख अब भी न मिटी हो तो सियासतदानो! यूं ही कश्मीर को हर रोज़ जलाते रहिए हुस्न कश्मीर का हर रंग के फूलों से है इसको हर रंग के फूलों से सजाते रहिए चंद ताजिर वो विदेशों से बुला लाये हैं […]

काम अक्सर वो सियासत से लिया करते हैं/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

काम अक्सर वो सियासत से लिया करते हैं ख़ास मकसद से हमें बांट दिया करते हैं अब तो हम अपने मुहाफ़िज़ की पनाहों में भी मौत की बांहों में दिन रात जिया करते हैं हमको आता ही नहीं झूठी बड़ाई करना दिल जो कहता है वही काम किया करते हैं तुम किसी और के कासे […]

जिंदगी का खोखलापन झांक कर देखेगा कौन/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

जिंदगी का खोखलापन झांक कर देखेगा कौन ‘लोग तो फल-फूल देखेंगे शेर देखेगा कौन दश्त बे आबो-शजर है उस पे सूरज का जलाल तेज़ चलना है तो आदाबे-सफ़र देखेगा कौन गो अधूरी है रह गयी है उस परिंदे की उड़ान पुतलियों में ख़्वाब ज़िंदा है मगर देखेगा कौन सिर्फ़ ये सूखे हुए पत्ते नहीं हैं, […]

सैंकड़ो उन्वान देकर इक फ़साना बट गया/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

सैंकड़ो उन्वान देकर इक फ़साना बट गया अब तो पुरखों का मकां भी ख़ाना ख़ाना बंट गया आज से पहले कभी आबो-हवा ऐसी न थी दिल बटा, नफ़रत बटी, फिर आशियाना बट गया शाम थी तो साथ थे सब दिन निकलते क्या हुआ पेड़ के हर इक परिंदे का ठिकाना बट गया क़ौमी यकजहती का […]

बात ख़ासो-आम का बिंदास रखती है ग़ज़ल/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

बात ख़ासो-आम का बिंदास रखती है ग़ज़ल दर्द के अनुवाद में विश्वास रखती है ग़ज़ल शब्द में हैं इक थिरकते मोर की सी मस्तियां बह्र को बहती नदी के पास रखती है ग़ज़ल बर्फ़ के घर में ठिठुरते आदमी के ज़ेह्न में एक टुकड़ा धूप का एहसास रखती है ग़ज़ल हर अंधेरी झोपड़ी में रौशनी […]

काश यूँ हो कि मेरा प्यार ग़ज़ल हो जाए/ग़ज़ल/ए.एफ़. ’नज़र’

काश यूँ हो कि मेरा प्यार ग़ज़ल हो जाए, मैं पढ़ूँ और वो जफ़ाकार ग़ज़ल हो जाए। मैं जो दीवाना हुआ हूँ तो अजब क्या है सनम, नाम लिख दूँ तेरा दीवार ग़ज़ल हो जाए। ये सिफ़त तेरी मुहब्बत ने अता की है मुझे, लब पे मैं रख लूँ तो अंगार ग़ज़ल हो जाए। मुझपे […]

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