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ग़ज़ल

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे/अदम गोंडवी

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे । हम अपने इस कालखण्ड का एक नया इतिहास लिखेंगे । सदियों से जो रहे उपेक्षित श्रीमन्तों के हरम सजाकर, उन दलितों की करुण कहानी मुद्रा से रैदास लिखेंगे । प्रेमचन्द की रचनाओं को एक सिरे से खारिज़ करके, ये ‘ओशो’ के अनुयायी हैं, कामसूत्र पर भाष […]

बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को/अदम गोंडवी

बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को । सब्र की इक हद भी होती है तवज्जो दीजिए, गर्म रक्खें कब तलक नारों से दस्तरख़्वान को । शबनमी होंठों की गर्मी दे न पाएगी सुकून, पेट के भूगोल में उलझे हुए इंसान को । पार कर […]

विकट बाढ़ की करुण कहानी/अदम गोंडवी

विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्यास लिखा है। बूढ़े बरगद के वल्कल पर सदियों का इतिहास लिखा है।। क्रूर नियति ने इसकी किस्मत से कैसा खिलवाड़ किया। मन के पृष्ठों पर शकुंतला अधरों पर संत्रास लिखा है।। छाया मंदिर महकती रहती गोया तुलसी की चौपाई लेकिन स्वप्निल, स्मृतियों में सीता का वनवास लिखा […]

गाँव के दिलकश नज़ारों में/अदम गोंडवी

ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में मुसल्सल फ़न का दम घुटता है इन अदबी इदारों में न इन में वो कशिश होगी , न बू होगी , न रआनाई खिलेंगे फूल बेशक लॉन की लम्बी कतारों में अदीबो ! ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ मुलम्मे के सिवा क्या है […]

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है/अदम गोंडवी

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले हमारा मुल्क इस माने में […]

तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है/अदम गोंडवी

तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है लगी है होड़ – सी देखो अमीरी औ गरीबी में ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है तुम्हारी मेज़ चांदी […]

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है/अदम गोंडवी

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ और कश्ती कागजी पतवार के साये में है हम फ़कीरों […]

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे/अदम गोंडवी

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे/अदम गोंडवी

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे सुरा व सुंदरी के शौक़ में डूबे हुए रहबर दिल्ली को रंगीलेशाह का हम्माम कर देंगे ये वंदेमातरम् का गीत गाते हैं सुबह उठकर मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगना दाम कर देंगे सदन को घूस देकर […]

उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

उम्मीद बँधी है एक तुम्हीं से सिर्फ़ तुम्हारे हैं तुम नदिया, तुम सागर हो हम पानी के धारे हैं उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा घोर अंधेरे में सुना यही था साये तब तक, जब तक उजियारे हैं दुनिया की बातें मत छेड़ो हमको क्या है मालूम उसकी धुन में रहते हैं अपनी धुन के मारे […]