आपकी आँखें हमारी राहत ए जाँ हो गईं/ग़ज़ल/रचना निर्मल
आपकी आँखें हमारी राहत ए जाँ हो गईं इनसे मिलकर दिल की सब शमएँ फरोज़ाँ हो गईं आपकी नज़रों ने जब हमको शरारत से छुआ दिल की दीवारें महब्बत से निगाराँ हो गईं मुश्किलों के दौर में मुझमें छिपीं कुछ सीरतें मौक़ा पाते ही जमाने पर नुमायाँ हों गईं जब नहीं पाया महब्बत का महब्बत […]