जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह, याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह । ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह । कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो जिन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह । दाग मुझमें […]
