काव्य

जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज

जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह, याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह । ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह । कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो जिन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह । दाग मुझमें […]

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई । मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई । आप मत पूछिये क्या हम पे ‘सफ़र में गुज़री ? था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई । ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई । […]

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए। जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए। प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए […]

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा । सफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा । वो जिस्म ही था जो भटका किया ज़माने में, हृदय तो मेरा हमेशा तेरी डगर में रहा । तू ढूँढ़ता था जिसे जा के बृज के गोकुल में, वो श्याम तो किसी मीरा की चश्मे-तर […]

ऐ भाई! जरा देख के चलो/गीत/गोपालदास नीरज

ऐ भाई! जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी ऐ भाई! तू जहाँ आया है वो तेरा- घर नहीं, गाँव नहीं गली नहीं, कूचा नहीं, रस्ता नहीं, बस्ती नहीं दुनिया है, और प्यारे, दुनिया यह एक सरकस है और इस सरकस में- बड़े […]

लिखे जो ख़त तुझे/गीत/गोपालदास नीरज

लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए सवेरा जब हुआ तो फूल बन गए जो रात आई तो सितारे बन गए कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई […]

आज मदहोश हुआ जाए रे/गीत/गोपालदास नीरज

आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन ओ री कली , सजा तू डोली ओ री लहर , पहना तू पायल ओ री नदी , दिखा तू दर्पण ओ री किरण ओढा तू आँचल इक जोगन हैं बनी आज […]

शोखियों में घोला जाये/गीत/गोपालदास नीरज

शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब होगा यूँ नशा जो तैयार हाँ… होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब, होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है शोखियों में घोला जाये, फूलों […]

ओ प्यासे/गीत/गोपालदास नीरज

हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं तरह-तरह के फूल धूल की बगिया में लेकिन सब ही आते पूजा के काम नहीं, कुछ में शोख़ी है, कुछ में केवल रूप रंग कुछ हँसते सुबह मगर मुस्काते शाम नहीं, दुनिया है एक नुमायश सीरत–सूरत […]

हम सब खिलौने हैं/गीत/गोपालदास नीरज

हम सब खिलौने हैं! ढीठ काल-बालक के हाथों में फूलों के बेहिसाब दौने हैं! हम सब खिलौने हैं! जन्मों के निर्दयी कुम्हार ने साँसों के चाकों पर हमको चढ़ाया है, तरह-तरह माटी ने रूंदा है जब तब यह अनूप रूप हमको मिल पाया है, सब को हम मनहर हैं, ऊपर से बहुत-बहुत सुन्दर हैं, लेकिन […]