दासी/कहानी/जयशंकर प्रसाद
यह खेल किसको दिखा रहे हो बलराज?-कहते हुए फिरोज़ा ने युवक की कलाई पकड़ ली। युवक की मुठ्ठी में एक भयानक छुरा चमक रहा था। उसने झुँझला कर फिरोज़ा की तरफ देखा। वह खिलखिलाकर हँस पड़ी। फिरोज़ा युवती से अधिक बालिका थी। अल्हड़पन, चञ्चलता और हँसी से बनी हुई वह तुर्क बाला सब हृदयों के […]