अतिमा/सुमित्रानंदन पंत
1. गीतों का दर्पण यदि मरणोन्मुख वर्तमान से ऊब गया हो कटु मन, उठते हों न निराश लौह पग रुद्ध श्वास हो जीवन ! रिक्त बालुका यंत्र,…खिसक हो चुके सुनहले सब क्षण, क्यों यादों में बंदी हो सिसक रहा उर स्पन्दन ! तो मेरे गीतों में देखो नव भविष्य की झाँकी, नि:स्वर शिखरों पर उड़ता […]