अपनी सुरक्षा से/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’
यदि देश की सुरक्षा यही होती है कि बिना ज़मीर होना ज़िन्दगी के लिए शर्त बन जाये आँख की पुतली में ‘हाँ’ के सिवाय कोई भी शब्द अश्लील हो और मन बदकार पलों के सामने दण्डवत झुका रहे तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है हम तो देश को समझे थे घर-जैसी पवित्र […]