मैं पूछता हूँ/कविता/अवतार सिंह संधू ‘पाश’
मैं पूछता हूँ आसमान में उड़ते हुए सूरज से क्या वक़्त इसी का नाम है कि घटनाए कुचलती हुई चली जाए मस्त हाथी की तरह एक समूचे मनुष्य की चेतना को? कि हर सवाल केवल परिश्रम करते देह की गलती ही हो क्यों सुना दिया जाता है हर बार पुराना लतीफा क्यों कहा जाता […]