मैं कैसे अमरित बरसाऊँ/कविता/नागार्जुन
मैं कैसे अमरित बरसाऊँ बजरंगी हूँ नहीं कि निज उर चीर तुम्हें दरसाऊँ ! रस-वस का लवलेश नहीं है, नाहक ही क्यों तरसाऊँ ? सूख गया है हिया किसी को किस प्रकार सरसाऊँ ? तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ? नभ के तारे तोड़ किस तरह मैं महराब बनाऊँ ? कैसे हाकिम […]