ढकोसले/अमीर खुसरो
काकी फूफा घर में हैं कि नायं, नायं तो नन्देऊ पांवरो होय तो ला दे, ला कथूरा में डोराई डारि लाऊँ खीर पकाई जतन से और चरखा दिया जलाय आयो कुत्तो खा गयो, तू बैठी ढोल बजाय, ला पानी पिलाय पीपल पकी पपेलियाँ, झड़ झड़ पड़े हैं बेर सर में लगा खटाक से, वाह रे […]