ज़मीं पर पाँव हिम्मत बाँध कर जो धर ही लेते हैं सफ़र मुश्किल हो जितना भी वो पूरा कर ही लेते हैं भरोसा होता है जिनको ख़ुदा की ज़ात पर देखो दुआ से शादमानी का वो कासा भर ही लेते हैं भरेगी जेब कैसे कौन सी फ़ाइल दबाने से ये सारे फ़ैसले कुछ क्लर्क और अफ़सर ही लेते हैं पराया कह चुके हैं जब जहाँ के सामने तब क्यों उसी का नाम वो हर बात में अक्सर ही लेते हैं परेशाँ हाल दिल से चूक "निर्मल"हो गई वरना निशाना आज भी हम आपसे बिहतर ही लेते हैं
लेखक
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रचना निर्मल जन्मतिथि - 05 अगस्त 1969 जन्म स्थान - पंजाब (जालंधर) शिक्षा - स्नातकोत्तर प्रकाशन- 5 साझा संग्रह उल्लेखनीय सम्मान/पुरस्कार महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, कई राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर पुरस्कार संप्रति - प्रवक्ता ( राजनीति विज्ञान) संपर्क - 202/A 3rd floor Arjun Nagar
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ज़मीं पर पाँव हिम्मत बाँध कर जो धर ही लेते हैं /ग़ज़ल/रचना निर्मल