बहते पानी पर नाम लिखा है ।
यह जीवन का अंजाम लिखा है ।।
बलि कितने ही तारे चढ़ जाते ।
सुबहो को मैंने शाम लिखा है ।।
तख्ती पर हमने ही कर्मों के ।
दण्डों का वाजिब काम लिखा है।।
दी है गम ने धमकी तब से ही ।
है दर्दों से आराम लिखा है ।।
वो मासूम हुस्न के चर्चे थे ।
क्यों इश्क हुआ बदनाम लिखा है।।
पहलू में आकर बैठ गये वो ।
किस्मत ने क्या ईनाम लिखा है।।
गंगा-जल करते पान सुना वो ।
लोहू का पीते जाम लिखा है।।
जीवन की नैया पार लगेगी ।
मरघट को तीरथ धाम लिखा है।।
तन-मन में गूंजा राम रमैया ।
हर धड़कन पर श्री राम लिखा है।।
दिलजीत सिंह रील
दी है गम ने धमकी तब से ही/दिलजीत सिंह रील