नभ पर फूल सितारे अब खिलते नहीं मियां ।
क्यों रंग बहारों के भी घुलते। नहीं मियां ।।
गन्नों। से। भी। मीठे। रिश्तों में गांठ पड़ी ।
गांठ। गांठ। में। खोजा वो मिलते नहीं मियां।।
पोशाकें सिलते हैं। जो दर्जी। कुदरत। की ।
क्यों इंसां की। पोशाकें। सिलते। नहीं मियां ।।
इश्क का समन्दर है मुहब्बतों। के। डोंगे ।
ये। बिना। यार के। डोंगे। खुलते नहीं मियां।।
हमने लिखे जो दिल में। प्यार के दो अक्षर।
नफरत की बारिशों में भी। घुलते नही मियां।।
चलो मिटाएं मिलकर जोर जुलम के पर्वत ।
अंगद के। पांव। नहीं। जो हिलते नहीं मियां।।
इंसाफ की उम्मीदें उनसे क्या स्वयं जो।
इंसाफ की तराज़ू पर। तुलते नहीं मियां।।
दिलजीत सिंह रील
नभ पर फूल सितारे अब खिलते नहीं मियां/दिलजीत सिंह रील