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चले तो जाते हैं कुछ लोग छोड़ कर घर को/कामना मिश्रा

ख़ुशी से ज़िन्दगी होगी बसर कभी न कभी

ये दिल चुनेगा,सही,हमसफ़र, कभी न कभी

बिछड़ गया है परिंदा जो, नीड़ से अपने

मिलेगा उसको भी अपना शजर,कभी न कभी

चले तो जाते हैं कुछ लोग छोड़ कर घर को

तकेगा उनकी बहुत राह,घर,कभी न कभी

बिछड़ के अपने ही घर से,है कौन ख़ुश,ये कहो

कि लौटेंगे वे भी वापस ही घर कभी न कभी

इक इम्तिहान ही तो है,ये ज़िन्दगी का सफ़र

यकीं है होगा ये आसां,सफ़र कभी न कभी

भले उजाड़ दिया,तूफ़ां ने ये दिल का नगर

यकीन है कि बसेगा, नगर,कभी न कभी

उठे हैं आज बहुत पीर दिल के कोने में

इलाज होगा इसी का मगर कभी न कभी

जो छोड़ दीं थीं,अधूरी कहानियां हमने

है”कामना” हों वो पूरी मगर,कभी न कभी

उजड़ गया जो ख़िज़ाँ में,बसेगा वो दुबारा 

बहार से वो खिलेगा शजर, कभी न कभी

कामना मिश्रा

लेखक

  • कामना मिश्रा दिल्ली, भारत शिक्षा- BSc.Botany .Hons , खालसा कॉलेज,नार्थ कैम्पस दिल्ली विश्वविद्यालय NIIT में English Facilitator and Interview Skills expert की नौकरी Kamna Classes -- मेरा कोचिंग सेंटर English Speaking Skill expert and Personality Groomer, English Teacher समाज सेविका शिक्षाविद

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