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रचना निर्मल की 51 ग़ज़लें

  ग़ज़ल 1   मेरे ख़्वाबों में रोज़ आते हैं सोए जज़्बात वो जगाते हैं   वो गुज़रते हैं जिस गली से भी हर तरफ़ गुल महकते जाते हैं   इश्क़ उनको नहीं अगर हमसे ज़ख्म पर क्यों नमक लगाते हैं   रात होते ही क्यों सर-ए-मिज़्गाँ अश्क मोती से झिलमिलाते हैं   हम जिन्हें […]